नई दिल्ली| त्योहारी सीजन के दौरान भारी छूट पर उत्पादों की बिक्री को लेकर अमेजन और वालमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट भारत सरकार के रडार पर आ गई हैं। सरकार जांच कर रही है कि भारी छूट से कहीं विदेश निवेश से जुड़े नियमों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
सरकार ने ऑनलाइन खरीदारी पर दी जा रहीं लुभावनी पेशकशों से छोटे खुदरा कारोबारियों पर आश्रित 13 करोड़ लोगों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से फरवरी में नए नियम पेश किए थे। इन नियमों में ई-कॉमर्स कंपनियों को उनके कारोबारी ढांचे में बदलाव करने को मजबूर कर दिया था, हालांकि अमेरिका ने इसकी आलोचना की थी। इसके साथ ही भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी संबंधों में तनाव बढ़ गया था।
इस मसले पर अमेजन और फ्लिपकार्ट लगातार सभी नियमों के पालन की बात कह रही थीं, वहीं स्थानीय कारोबारी संगठनों ने आरोप लगाया कि दोनों कंपनियां मौजूदा त्योहारी सीजन के दौरान छूट देने के लिए भारी रकम लगा रही हैं। कुछ मामलों में तो 50 फीसदी से भी ज्यादा छूट दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, फ्लिपकार्ट कुछ मामलों में उत्पादों पर छूट की पेशकश करने वाले विक्रेताओं को कमीशन को छोड़ने की पेशकश करती हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सरकार शिकायतों और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतों की जांच कर रही है, जिसने अमेजन और फ्लिपकार्ट पर विदेशी निवेश के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था। सीएआईटी देश के 7 करोड़ खुदरा कारोबारियों का प्रतिनिधित्व करता है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही इस मसले पर चर्चा के लिए वाणिज्य मंत्रालय के सामने अमेजन, फ्लिपकार्ट और सीएआईटी के प्रतिनिधियों की बैठक हुई थी। सीएआईटी के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, ‘भारी छूट के कारण ग्राहक ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं। इसके चलते इस महीने खुदरा कारोबारियों की बिक्री 30 से 40 फीसदी कम हुई है।’
सितंबर में फ्लिपकार्ट के विक्रेताओं से मिले दो ईमेल्स के मुताबिक, त्योहारी सीजन से ठीक कुछ दिन पहले कंपनी ने डिस्काउंट्स के आंशिक भुगतान की पेशकश की थी। एक ई-मेल के मुताबिक, ‘यदि विक्रेता उत्पाद की कीमत 15 फीसदी कम करता है तो उसमें से 3 फीसदी या 30 फीसदी छूट की स्थिति में 9 फीसदी का बोझ कंपनी उठाएगी।’ फ्लिपकार्ट से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि सभी प्रोत्साहन भारतीय नियमों के तहत हैं और इनका उद्देश्य उनके द्वारा चुकाए जाने वाले कमीशन में कमी लाकर विक्रेताओं को कमाई के लिए प्रोत्साहित करना है।