इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हत्या के आरोपित की आजीवन कारावास की सजा की रद, कहा- सजा के लिए ठोस साक्ष्य जरूरी

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि बिना ठोस साक्ष्य के केवल संदेह के आधार पर अपराध की सजा नहीं दी जा सकती। सजा के लिए ठोस साक्ष्य होना जरूरी है। कोर्ट ने 2009 में फतेहपुर के धाता में हुई हत्या के आरोपित वक्षराज की आजीवन कारावास की सजा रद कर दी है। उसे दोषमुक्त करार देते हुए तत्काल रिहाई का आदेश दिया है।

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यह फैसला न्यायमूर्ति बच्चू लाल व न्यायमूर्ति एससी शर्मा की खंडपीठ ने सत्र न्यायालय द्वारा दी गयी सजा के खिलाफ आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर अधिवक्ता अमित कुमार श्रीवास्तव व रमेश कुमार मिश्र ने बहस की।

अधिवक्ता का कहना था कि मृतक राजन पासी नौ अक्टूबर, 2009 को रात नौ बजे तालाब में मछली को चारा देने गया था। वह सुबह तक वापस नहीं लौटा तो उसके भाई ढूंढने निकले। राजन का शव एक पेड़ के नीचे खून से लथपथ पड़ा मिला। उसे चाकू से मारा गया था। दूसरे दिन एफआइआर दर्ज कराई गई। आरोपित पर हत्या का संदेह प्रकट किया गया। कहा गया कि 14-15 साल पहले डकैती में आरोपित के भाई की हत्या हुई थी। उसका बदला लेने के लिए हत्या की गई है।

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