ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने रोक को वापस लेने की मांग की और दिल्ली सरकार से प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए किसी और तरीके पर विचार करने को कहा।
राजधानी दिल्ली में मध्यम और भारी माल वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर व्यापारियों और ट्रांसपोर्ट संगठनों ने नाखुशी जताई है। इनका कहना है कि सरकार के इस कदम से राजधानी में कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
दरअसल, 1 अक्टूबर से 28 फरवरी तक राजधानी दिल्ली में मध्यम और भारी माल वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य वाहनों के प्रदूषण पर अंकुश लगाना था। हालांकि, कच्ची सब्जियां, फल, अनाज, दूध और आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले वाहनों को शहर में प्रवेश करने की अनुमति होगी। एक अधिकारी के अनुसार, सर्दियों के महीनों में वाहनों के प्रदूषण से वायु की गुणवत्ता में गिरावट आती है।
ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने रोक को वापस लेने की मांग की और दिल्ली सरकार से प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए किसी और तरीके पर विचार करने को कहा।
उन्होंने कहा कि विभिन्न आवश्यक वस्तुएं जो सैकड़ों टन में होती हैं, उन्हें केवल भारी मोटर वाहनों द्वारा किया जा सकता है, हल्के वाहनों द्वारा नहीं। भारी मशीनरी और निर्माण सामग्री भी विभिन्न राज्यों से लाई जाती है और यह हल्के मोटर वाहन द्वारा नहीं किया जा सकता है
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने इस मुद्दे पर भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए 29 जून को दिल्ली के प्रमुख व्यापारिक संघों की एक बैठक बुलाई है।
अरविंद केजरीवाल सरकार के फैसले की निंदा करते हुए CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इस कदम से दिल्ली में व्यापार काफी हद तक बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के व्यापारी पीड़ित हैं और मनमाने और अप्रिय आदेश का विरोध करेंगे। खंडेलवाल ने कहा कि विचाराधीन निर्णय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के व्यापार विरोधी रवैये को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा वितरण केंद्र है और दिल्ली सरकार का राजस्व काफी हद तक व्यापारिक गतिविधियों पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि अगर यह आदेश लागू होता है तो माल की आवाजाही में बड़ी बाधा आएगी।
 
			



