राजधानी में सीएम और आलाधिकारियों की मौजूदगी में इस तरह की घटनाएँ दुर्भाग्यपूर्ण :

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लखनऊ, लखनऊ विश्वविद्यालय के दलित प्रोफेसर रविकांत के साथ भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं द्वारा की गयी अभद्रता व मारपीट के मामले में पुलिस की ओर से अभीतक एफआईआर दर्ज ना किये जाने को लेकर सामाजिक संगठनों ने अपना आक्रोश जताया और कहा कि इस मामले में जल्द ही कोई कार्रवाई की जाए।

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प्रो. रविकांत पर लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में 18 मई को उनके सुरक्षा गार्ड की मौजूदगी में उनपर एक छात्र ने हमला कर दिया। इस मामले को लेकर सामाजिक संस्था बहुजन भारत के अध्यक्ष कुंवर फ़तेह बहादुर ने कहा कि यदि पुलिस प्रो. रविकांत पर दस मई को हुए हमले की रिपोर्ट लिखकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर दी होती तो प्रो. पर दोबारा हमला ना होता। संस्था मुख्यालय में हुई बैठक में उन्होंने कहा कि राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री और राज्यपाल से लेकर पुलिस के साथ ही शासन और प्रशासन के सारे अधिकारी बैठते हैं और ये मामला सबकी संज्ञान में भी होगा, बावजूद इसके अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई तो दूर उनके खिलाफ मुक़दमा तक नहीं लिखा गया, उलटे उनकी तहरीर पर प्रो. रविकांत के खिलाफ आईपीसी की गंभीर धाराओं में मुक़दमा लिख दिया गया।

कुंवर फ़तेह बहादुर ने कहा कि एक अनुसूचित जाति के प्रोफेसर के खिलाफ लखनऊ विवि परिसर में जानलेवा हमला किया जाता है, ऐसे में अनुसूचित जाति के मंत्री की प्रो. के खिलाफ हुए अत्याचार के मामले में इनकी चुप्पी आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि प्रो. रविकांत ने टीवी डिबेट में ज्ञानवापी मस्जिद से सम्बंधित जो तथ्य पेश किये वे इतिहासकार सीतारमैया की पुस्तक के उद्दरण के आधार पर थे, जिसकी वजह से उनपर जानलेवा हमला हुआ। उन्होंने इस मामले में पुलिस आयुक्त से मिलकर हमला करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की, लेकिन उनकी एफआईआर तो दर्ज नहीं हुई पर विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं की ओर से प्रो. रविकांत के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी अपराध मुक्त प्रदेश का दावा करते हैं और अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर चलवाकर उनमें भय का माहौल बनाते हैं, लेकिन शायद अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को लेकर सरकार व आलाधिकारियों की कुछ और ही राय है, यही वजह है कि पूरे प्रदेश में दलितों पर हो रहे उत्पीड़न के मामलों में शासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। बैठक में संस्था के महासचिव चिंतामणि, उपाध्यक्ष नन्द किशोर, कोषाध्यक्ष राम कुमार गौतम, संयुक्त सचिव कृष्ण कन्हैया पाल, नवल किशोर ने भी अपने विचार रखे।

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