देश में कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर खूब राजनीति हुई और अभी भी जारी है। कोरोना की दूसरी लहर को भी वैक्सीन की कमी से जोड़ दिया गया। जबकि सच्चाई यह है कि दूसरी लहर को रोक पाना संभव ही नहीं था। वैश्विक स्तर पर कोई भी देश दूसरी लहर नहीं रोक पाया। हां तीसरी लहर और कहीं कहीं चौथी लहर जरूर नियंत्रित की जा सकी है। अब जबकि देश के बड़े हिस्से में कोरोना थोड़ा नियंत्रित है तो सवाल यह है कि क्या नवंबर तक संभावित तीसरी लहर से बचने को केंद्र और राज्य तैयार हैं।
किल्लत के बीच भी जिस तरह कुछ राज्यों में वैक्सीन की बर्बादी हो रही है और कार्यक्रम सुस्त है उससे आशंका बढ़ सकती है। नेशनल टेक्नीकल ग्रुप आन इम्यूनाइजेशन (एनटागी) के प्रमुख डा एनके अरोड़ा दैनिक जागरण के सवालों के जवाब में कहते हैं कि दूसरी लहर को वैक्सीन से नहीं जोड़ा जा सकता। हम तब दूसरी लहर को रोक पाते अगर फरवरी तक हमारे पास 60-65 करोड़ डोज होते। लेकिन उस वक्त पूरी दुनिया में इतने डोज नहीं थे। दुनिया का कोई भी देश दूसरी लहर नहीं रोक पाया।