नौकरशाही पर मेरे बयान के भाव सही थे: उमा भारती

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नयी दिल्ली, 21 सितंबर भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) की वरिष्ठ नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं उमा भारती ने नौकरशाही को लेकर दिए गए अपने विवादित बयान पर अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि उन्होंने असंयत भाषा पर आत्मग्लानि अनुभव की और उसे व्यक्त भी किया किन्तु बयान के पीछे भाव बिलकुल सही थे।

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सुश्री भारती ने मंगलवार को सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए इस पूरे विवाद पर लंबी प्रतिक्रिया देते हुए कहा “18 सितम्बर को मेरे निवास पर हुए संवाददाता सम्मेलन में, 15 जनवरी, 2022 के बाद शराब बन्दी के अभियान में मेरी स्वयं की भागीदारी के संबंध में घोषणा के बाद मैं आशंकित थी कि इस मुद्दे की शक्ति कम करने के लिये कुछ घट सकता है और मेरी आशंका सच्चाई में बदल गयी।”

उन्होंने कहा कि नौकरशाही पर दिए गए बयान को मीडिया ने तोड़मरोड़ कर पेश नहीं किया किन्तु मीडिया तक बयान को प्रभावी रूप से पहुँचाने का समय 20 तारीख़ को चुना गया।

सुश्री भारती ने कहा “मैं मध्य प्रदेश में शराब बन्दी के अपने परम लक्ष्य से लोगों का ध्यान हटने ही नही दूँगी। इसलिए मैंने असंयत भाषा के प्रयोग को उसी भाव मेंं स्वीकार करते हुए अपना रंज व्यक्त किया। मैंने अपनी टिप्पणी में मेरी नहीं बल्कि हमारी यानी बहुवचन का प्रयोग किया है। मैं तो किसी को अपने पांव भी नहीं छूने देती तो किसी से मेरी चप्पल उठाने की बात कैसे कह सकती हूँ।”

उन्होंने कहा कि नौकरशाही पर दिये गये बयान से एक सार्थक विचार-विमर्श निकल सकता है जो कि नए प्रशासनिक सेवा में भर्ती हुए युवाओं के काम आ सकता है। इसलिये अब मैं इस बहस को भी आगे चलाऊँगी, क्योंकि यह देश के लोकतंत्र एवं विकास के लिए आवश्यक है।

भाजपा नेत्री ने कहा “ 1990 में मध्यप्रदेश में जब पटवा जी की सरकार बनी एवं मैं खजुराहो से सांसद थी तो मेरे मना करने पर भी कलेक्टर, एसपी मेरे घर ही आ जाते थे जबकि मैं आराम गृह में मिलने का सुझाव देती थी। सब प्रकार के अधिकारियों से वास्ता पड़ा किन्तु ईमानदार एवं नियम पालन करने में पूरे देश विशेषकर मध्यप्रदेश के नौकरशाहों की व्यावहारिक संगत मुझे मिली तथा उनके प्रति सम्मान की अमिट छाप मेरे हृदय में है। वर्ष 2000 में मैं जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में पर्यटन मंत्री थी तब बिहार में वहाँ की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके पति लालू यादव के साथ मेरा पटना से बोधगया जाने का दौरा हुआ। हमारे सामने की सीट पर बिहार राज्य के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी बैठे हुए थे। श्री यादव ने मेरे ही सामने अपने पीकदान में ही थूका एवं उस वरिष्ठ अधिकारी के हाथ में थमाकर उसको खिड़की के बग़ल में नीचे रखने को कहा और उस अधिकारी ने ऐसा कर भी दिया । इसलिये 2005-06 में जब मुझे बिहार का प्रभारी बनाया गया और बिहार के पिछड़ेपन के साथ मैंने पीकदान को भी मुद्दा बनाया एवं पूरे बिहार के प्रशासनिक अधिकारियों से अपील की आज आप इनका पीकदान उठाते हो, कल हमारा भी उठाना पड़ेगा। अपनी गरिमा को ध्यान में रखो तथा पीकदान की जगह फ़ाइल और कलमदान से चलो।”

सुश्री भारती ने कहा “बिहार की सत्ता पलट गयी, मैं नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद लौटी, मध्यप्रदेश में बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री थे किन्तु मेरे घर पर लगभग सभी अधिकारियों की भीड़ लगी रहती थी, इससे मुझे शर्मिंदगी होती थी। बिहार से आते ही मुझे भाजपा से निकाल दिया गया। श्री गौर भी हट गये। फिर तो मुझे मध्यप्रदेश में किसी आरामगृह में कमरा मिलना भी मुश्किल हो गया। प्रशासनिक अधिकारी तो मेरे छाया से भागने लगे। मेरे लिए तो यह हँसी एवं अचरज की बात थी क्योंकि तिरंगे के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ते ही मैं पूर्व मुख्यमंत्री हो गयी थी किन्तु मेरे पार्टी से बाहर निकाले जाते ही अधिकारियों की रंगत ही बदल गयी। मुझे इससे भी कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि ईश्वर एवं पब्लिक की कृपा मुझ पर हमेशा रही है। मैं तो हमेशा बादशाह हूँ या हमेशा फ़क़ीर हूँ।”

सुश्री भारती ने कहा “ ऐसी बातें लोकतंत्र के लिए घातक हैं क्योंकि प्रशासनिक सेवा के लोगों को नियम से बंधना है तथा जो जनता के वोट से चुनाव जीत के सत्ता में आया है उसकी नीतियों का क्रियान्वयन करना है किन्तु सत्तारूढ़ दल की राजनीति साधने का कार्यकर्ता नहीं बनना है। लेकिन यह निर्णय देश के, सभी राज्यों के नौकरशाहों को करना होगा कि वह शासन के अधिकारी, कर्मचारी एवं जनता के सेवक हैं किन्तु वह किसी राजनीतिक दल के घरेलू नौकर नही हैं।”

उन्होंने कहा कि यह जुमला कि ‘अफ़सरशाही देश नहीं चलने देती’ कई निक्कमे सत्तारूढ़ नेताओं के लिए रक्षा कवच का काम करता है।

सुश्री भारती ने कहा“ क्या आपने कभी हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुँह से ऐसी बात सुनी है?उन्होंने तो पहले गुजरात में मुख्यमंत्री के तौर पर फिर देश के प्रधानमंत्री के तौर पर सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के सहयोग एवं उपयोग से देश को कई बड़े संकटों से ऊबार लिया।”

उन्होंने नौकरशाहों से अपील करते हुए कहा “मैं देश की सभी पुराने एवं नये नौकरशाहों से अपील करूँगी कि आपको अपने पूर्वजों, माता पिता, ईश्वर की कृपा एवं अपनी योग्यता से यह स्थान मिला है, भ्रष्ट अफसर एवं निक्कमे सत्तारूढ़ नेताओं के गठजोड़ से हमेशा दूर रहिये। आप शासन के अधिकारी, कर्मचारी हैं किन्तु किसी राजनीतिक दल के घरेलू नौकर नहीं हैं, देश के विकास एवं स्वस्थ लोकतंत्र के लिए तथा गरीब आदमी तक पहुँचने के लिये आप इस जगह पर बैठे हैं, इस पर ध्यान रखिये। भारतीय लोकतंत्र में नौकरशाही का सम्मान, उपयोगिता एवं योगदान बना रहे इस पर स्वयं नौकरशाही को सजग रहना होगा। राजनीतिक दल में काम करने वाले मेरे जैसे लोग ईमानदार एवं नियम के पालन में व्यावहारिक नौकरशाही का सम्मान करते रहेंगे।”

दरअसल 18 सितंबर को सुश्री भारती की ओर से दिया गया एक वीडियो सोमवार को वायरल हुआ था जिसमें वह कहती हुई दिखाई दे रही हैं कि नौकरशाही की कोई अहमियत नही होती और वह सिर्फ चप्पल उठाने के लिए होती है। सुश्री भारती का यह वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी ने आलोचना करते हुए कहा है कि नौकरशाही के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। श्री भारती को अपने शब्द वापस लेने चाहिए।

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