इससे शरीर में फैट की मात्रा फिर से अचानक बढ़ने लगती है। ऐसे में रिवर्स डाइटिंग बहुत काम आती है। रिवर्स डाइटिंग में लोग धीरे-धीरे अपनी डाइट में कैलोरीज एड करते हैं। जानते हैं कुछ खास बातें
वजन कम करने के लिए लोग एक्सरसाइज से लेकर डाइटिंग तक को फॉलो करते हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कि डाइटिंग करने के कुछ बेसिक नियम होते हैं, जिनका ध्यान रखकर ही डाइटिंग सक्सेसफुल हो सकती है। यह तो बात हुई डाइटिंग की, लेकिन क्या आप रिवर्स डाइटिंग के बारे में जानते हैं? आइए, जानते हैं कि क्या है रिवर्स डाइटिंग-
रिवर्स डाइटिंग क्या होती है?
जब आप डाइटिंग पर होते हैं, तो डाइट में कम कैलोरीज लेते हैं, जिससे फैट कंट्रोल रह सके, लेकिन जब आपकी डाइटिंग पूरी हो जाती है, तो आप फिर से पहले की तरह डाइट लेने लगते हैं। इससे शरीर में फैट की मात्रा फिर से अचानक बढ़ने लगती है। ऐसे में रिवर्स डाइटिंग बहुत काम आती है। रिवर्स डाइटिंग में लोग धीरे-धीरे अपनी डाइट में कैलोरीज एड करते हैं, जिससे कि वजन फिर से बढ़ना शुरू न हो जाए।
रिवर्स डाइट कब करें?
-अगर कोई वजन को कंट्रोल में रखते हुए अधिक खाना खाना चाहता है।
-यदि कोई शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाना चाहता है।
-अगर कोई कम कैलोरी की मात्रा में लगातार भूखा रहता है, और आप इससे बीमार हो रहे हैं।
-अगर आप बहुत कम कैलोरी खा रहे हैं और कमजोरी महसूस हो रही है।रिवर्स डाइटिंग कैसे फॉलो करें
-कैलोरी की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाएं।
-इसे 2 सप्ताह तक करें और वजन, बॉडी एक्टिविटी आदि में बदलाव नोट करें।
-यदि दूसरे सप्ताह के अंत के बाद आपके शरीर का वजन समान रहता है, तो और 100-150 कैलोरी डाइट में -एड करें और इस प्रोसेस को तब तक जारी रखें, जब तक कि आप किसी भी स्थिर वसा वृद्धि को नोटिस न करें।
-इस सेवन को लगभग 3-5 सप्ताह तक बनाए रखें और देखें कि आपके शरीर का वजन बढ़ता है या नहीं। यदि -ऐसा होता है, तो इसका मतलब है कि आप कैलोरी से ऊपर खा रहे हैं। ऐसे में आपको कैलोरी को 100-200 तक कम कर देना चाहिए।


















