मायावती राष्ट्रपति चुनाव में किसको करेगी समर्थन

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लखनऊ, अगले महीने होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा की है।

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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि आदिवासी समाज को बसपा के आंदोलन का खास हिस्सा मानते हुए उनकी पार्टी ने मुर्मू को एक आदिवासी महिला होने के नाते समर्थन देने का फैसला किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बसपा ने राजग को नहीं बल्कि आदिवासी महिला उम्मीदवार का समर्थन किया है। साथ ही उन्होंने सत्ता पक्ष एवं विपक्ष पर बसपा को अलग थलग करने की राजनीतिक साजिश रचने का भी आरोप लगाया है।

गौरतलब है कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली मुर्मू ने राजग उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया है। वहीं विपक्षी दलों ने अपने साझा उम्मीदवार के रूप में पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का नाम घोषित किया है। सिन्हा 27 जून को नामांकन करेंगे। उत्तर प्रदेश में बसपा के दस सांसद और एक विधायक है।

मायावती ने एक बयान जारी कर अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि बसपा, राष्ट्रपति चुनाव में अपना फैसला खुद लेने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा, “इसके तहत ही, हमारी पार्टी ने आदिवासी समाज को अपनी मूवमेन्ट का खास हिस्सा मानते हुये, द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना समर्थन देने का फैसला लिया है। हमने यह अति-महत्वपूर्ण फैसला, बीजेपी व इनके एनडीए के पक्ष में नहीं और ना ही इनके विपक्ष यपूीए के विरोध में लिया है, बल्कि अपनी पार्टी व मूवमेन्ट को विशेष ध्यान में रखकर ही एक आदिवासी समाज की महिला को देश का राष्ट्रपति बनाने के लिए यह खास फैसला लिया है।” मायावती ने यह भी कहा कि हालांकि वह (मुर्मू) कितना फ्री होकर व बिना किसी दबाव के कार्य कर पायेंगी, यह तो आगे चलकर, समय ही बतायेगा।

मायावती ने भाजपा एवं अन्य विपक्षी दलों पर सर्वसम्मति से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने की कोशिशों को महज प्रपंच करार देते हुए इस मुहिम में बसपा को अलग थलग रखने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में भाजपा जहां सर्वसम्मति (आम-सहमति) से सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार तय करने के लिए अपनी विपक्षी पार्टियों से संपर्क करने का दिखावा करती रही है, वहीं विपक्षी दल एक संयुक्त उम्मीदवार तय करने के लिए अपनी मनमानी बैठकें करते रहे। इन्होंने उस प्रक्रिया से बसपा को अलग-थलग रखा है। मायावती ने कहा कि यह इन दलों की जातिवादी मानसिकता को साबित करता है।

मायावती ने दलील दी कि बसपा, जनहित के लगभग हर ख़ास मामले में, भाजपा के खिलाफ, विपक्ष का हमेशा से सहयोग करती रही है। इसके बाद भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा दिनांक 15 जून को विपक्षी पार्टियों की बैठक में एकतरफा व मनमाने तौर पर केवल चुनिंदा पार्टियों को ही बुलाना और फिर उसके बाद शरद पवार द्वारा 21 जून को इसी प्रकार की बैठक में बसपा को नहीं बुलाना इनके यह जातिवादी इरादों काे स्पष्ट करता है।

उन्होंने कहा, “ऐसे में राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव हेतु विपक्षी एकता का प्रयास गंभीर न होकर लाेगों को इसका केवल एक दिखावा ही ज्यादा लगता है, जिसका अंजाम भी सभी को मालूम है। जबकि इन्हीं विपक्षी पार्टियों ने बसपा को भाजपा की ‘बी टीम’ बताकर झूठा प्रचार खूब फैलाकर व माहौल बनाकर खासकर यूपी के पिछले विधानसभा आम चुनाव में हमारी पार्टी का भारी नुकसान ही नहीं किया, बल्कि इन्होंने एक विशेष समुदाय को बसपा के खिलाफ व सपा के पक्ष में इतना ज्यादा गुमराह किया कि सपा तो हारी ही हारी, अन्त में भाजपा यहां दोबारा से सत्ता में आ गई।”

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